तीसरी लहर के मुश्किलों का कैसे करेंगे सामना,जब सेहत का सिस्टम ही गांवों मे बीमार

मध्यप्रदेश के रीवा जिले मे ज्यादातर गाव ऐसे है जहा झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है! जो बिना किसी डिग्री के घर घर जाकर सर्दी खांसी जुखाम की दवा कर रहे हैं और उनके दवा पर लोगो को भरोसा भी है!पर मुसीबतों का सामना उस समय करना पडता है,जब कोई गंभीर रुप से अचानक बीमार हो […]

rewa mp
X



मध्यप्रदेश के रीवा जिले मे ज्यादातर गाव ऐसे है जहा झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है! जो बिना किसी डिग्री के घर घर जाकर सर्दी खांसी जुखाम की दवा कर रहे हैं और उनके दवा पर लोगो को भरोसा भी है!पर मुसीबतों का सामना उस समय करना पडता है,जब कोई गंभीर रुप से अचानक बीमार हो जाता है,शासन द्वारा जिले के हर ब्लाक स्तर पर समुदायिक स्वास्थ केन्द्रो की स्थापना है,पर इन केन्द्रो मे डाक्टरो की विशेष कमी है,




डाक्टरो की कमी के चलते समय पर नही मिलता उपचार

COVID-19
COVID-19

यहा ग्रामीण क्षेत्र के लोग कई किलोमीटर का सफर तय करते हुऐ अस्पताल पहुचते है!पर डाक्टरो की कमी के चलते समय पर उन्हे ऊपचार नही मिल पाता जिससे कई मरीज जहा समय पर उपचार ना मिलने से दम तोड़ देते है,तो कई सामान्य मरीजो को भी डाक्टर सीधे तौरपर संजय गांधी अस्पताल रीवा के लिये इसलिए रेफर कर रहे है की भर्ती मरीज के कारण डाक्टर की रात्रि कालीन नीद मे व्यवधान उत्पन्न होता है!वही रीवा जिले के ज्यादातर अस्पतालो मे शिशु रोग बिशेषज्ञो का भी आभाव है,ऐसे मे कोरोना की तीसरी लहर से वच्चो को बचाना चुनौतीपूर्ण है!यानी सेहद का सिस्टम गांवो मे बीमार है!

ब्लाक स्तरीय अस्पतालो मे तीसरी लहर से लडने की नही है तैयारी

रीवा जिले के मऊगंज,हनुमना, नईगढी,त्योथर सहित अन्य तहशील स्तरो मे कोरोना की तीसरी लहर से लडने के लिये कोई तैयारी नही है,क्योकि ग्रामीण क्षेत्रों मे वच्चो के उपचार के लिये ब्यवस्थाएं ना के बराबर है,हनुमना के पिपराही आदिबासी अंचल से 150 किमी दूरी तय करने के बाद वच्चो का इलाज कराने के लिये रीवा मे डाक्टर मिलते है,क्योकि हनुमना सहित मऊगंज,नईगढी,मे शिशु रोग विशेषज्ञ डाक्टरो की पदस्थापना नही है,




150 किमी दूरी तय करने के बाद मिलते है डाक्टर

रीवा जिले के पिपराही जडकुड,बीरादेई,नकबार,आदिवासी अंचल के लोग 150 किलोमीटर का सफर तय करते हुऐ बच्चो का उपचार कराने रीवा पहुचते है,इसी तरह मऊगंज के बहेराडाबर,हर्रहा,सीतापुर, मलकपुर,सहित कई ऐसे गांव है, जहा के लोग भी 100 किलोमीटर दूर का सफर तय कर रीवा मे बच्चो का उपचार कराने जरूर जाते है,पर उनके कलेजे के टुकड़े को इलाज नसीब नही होता क्योकि रीवा के डाक्टरो की भारी भरकम फीस और बाहन किराया के बाद दवा मे कटौती करना पड़ता है!क्योकि उन्हे सरकारी अस्पतालो मे मिलने बाली दवाइयां भी नसीब नही होती,

यह भी पढ़िए ….

ब्लैक,वाइट के बाद अब येलो फंगस ने दी दस्तक

MP के इन 5 जिलो में कोरोना कर्फ्यू में ढील

Tags:
Next Story
Share it