कान्हा की की ऐसी भक्ति सुबह गीता के पाठ के बाद हाथ में खुद आ जाता है मक्खन

कान्हा भक्त सुनीता बाई : MP के सीहोर में कान्हा की ऐसी भक्त हैं, जिस पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा का चमत्कार लोग रोजाना देखते हैं। ये सुन कर आपको भी यकीन नहीं होगा, लेकिन यह बात सच है। सीहोर जिले के एक गांव में रहने वाली सुनीता बाई गीता पाठ के बाद जब […]

कान्हा भक्त सुनीता बाई
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कान्हा भक्त सुनीता बाई : MP के सीहोर में कान्हा की ऐसी भक्त हैं, जिस पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा का चमत्कार लोग रोजाना देखते हैं। ये सुन कर आपको भी यकीन नहीं होगा, लेकिन यह बात सच है। सीहोर जिले के एक गांव में रहने वाली सुनीता बाई गीता पाठ के बाद जब उठती हैं, तो उनके हाथ में मक्खन खुद ब खुद आ जाता है। ऐसा रोजाना होता है। पूजा के बाद इस मक्खन को वह गांव वालों में प्रसाद के रूप में बांट देती हैं।

जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर मोलगा गांव में साध्वी सुनीता वर्मा भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त हैँ। सुनीता यहां कृष्ण मंदिर में रहकर अपना जीवनयापन करती हैं। उनका ज्यादातर समय कृष्ण भक्ति में ही गुजरता है। कान्हा भक्त सुनीता बाई के इस चमत्कार को देखने कई लोग दूर दूर के गांव से आते हैं।


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बचपन से ही हो रहा चमत्कार

सुनीता बाई का कहना है कि बचपन से ही वह श्रीकृष्ण की भक्त हैं।और दावा है कि बचपन में ही एक दिन कृष्ण सपने में आए थे। उन्होंने कहा था कि द्वापर युग में तुम मेरी गोपी थी। दूसरी गोपियां तुमसे मक्खन छीनकर खा जाया करती थीं, इसलिए अब मैं तुम्हें मक्खन का वरदान देता हूं। उसी के दूसरे दिन से पूजा के बाद हाथ पर खुद ब खुद मक्खन आने लगा। जन्माष्टमी के दिन गांव में विशेष आयोजन होते हैं।

ससुराल भी छोड़ दिया

1990 में सुनीता बाई की शादी भोपाल के नरेला में हो गई। पति ओमप्रकाश वर्मा CRPF में सैनिक थे। वह जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गए थे। सुनीता का कहना है कि पति ने कभी भी हाथ से मक्खन आने का विरोध नहीं किया। सुनीता का कहना है, पति की मौत के बाद कृष्ण भक्ति और हाथों से मक्खन आने के कारण ससुराल में विवाद होने लगे। इस बात के कारण वह मायके में आकर रहने लगीं। अब सुनीता अपने भाई पूर्व सरपंच चंदर सिह वर्मा के पास ही रहती हैं। और भागवान की पूजा करती है !

कान्हा भक्त सुनीता बाई
कान्हा भक्त सुनीता बाई

मंदिर बनवाने का खर्च सुनीता ने उठाया

आप को बता दें की साध्वी सुनीता ने घर पर 10 साल पहले श्रीकृष्ण का मंदिर बनाया था। और मंदिर का खर्च सुनीता ने खुद ही उठाया था। सुनीता ने ससुराल भले ही छोड़ दिया हो, लेकिन वहां कोई कार्यक्रम होता है, तो सुनीता वहां जरूर जाती हैं। वह नियमित दोनों समय भगवान की आरती, पूजा करती हैं। आप सीहोर जा कर खुद से साध्वी सुनीता को पूजा करते देख सकते है और प्रसाद के रूप में मक्खन ग्रहण कर सकते है !

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