ना जाने कहां गए वो दिन,पहले जब तू खत लिखता था कागज में चेहरा दिखता था
new year quotes 2023 : कुछ ही घंटे बाद हम नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं, नए वर्ष के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो चुकी है,हर कोई नये साल को कुछ खास बनाने में जुटा है, लेकिन भागदौड़ की इस जिंदगी में ना जाने कितने ही चीजें हमने काफी पीछे छोड़ दिया […]

new year quotes 2023 : कुछ ही घंटे बाद हम नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं, नए वर्ष के स्वागत की तैयारियां भी शुरू हो चुकी है,हर कोई नये साल को कुछ खास बनाने में जुटा है, लेकिन भागदौड़ की इस जिंदगी में ना जाने कितने ही चीजें हमने काफी पीछे छोड़ दिया है ! डिजिटल कि इस अंधी दौड़ में जहां शब्दों की संवेदना गायब हो गई,वही रिश्ते के साथ दोस्ती में नए साल की गर्माहट लाने वाले ग्रीटिंग कार्ड भी अब बाजार में देखने को नहीं मिल रहे हैं!
एक जमाना था जब दिवाली से ही ग्रीटिंग कार्ड और कैलेंडर का बाजार सजाया जाता था,नए साल के ग्रीटिंग कार्ड में हाथों से लिखी शेरो शायरियां सामने वाले का भाव मानी जाती थी, पर अब वह भाव बाजार से भी गायब हो गए,
ग्रीटिंग के जाते ही बदल गए भावनाओं का दौर
पहले चिट्ठियो में भावनाएं दिखती थी ,आनंद बक्शी की कविता है- "पहले जब तू खत लिखता था,कागज में चेहरा दिखता था" पुराने लोग कहते हैं कि पहले चिट्ठियों को बार-बार छूते थे एहसास करते थे,पर अब ओ बात नहीं रही !लोगों के हाथ में जैसे ही फोन की पहुच बढी ग्रीटिंग कार्ड का क्रेज कम होने लगा,साल 2000 में बदलाव शुरू हुआ, 2010 तक फोन से मैसेज भेजने का दौर भी खत्म होने लगा, फिर फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम का जमाना आ गया,अब आगे ना जाने कितने बदलाव देखने को मिलेगे!
अशोक समदरिया / प्रधान संपादक