Mauganj News: मऊगंज जिले में मौजूद वरदान रूपी काला पत्थर अब इस जिले के लिए अभिशाप साबित हो रहा है, क्योंकि इसी कला पत्थर की लालच में कोने-कोने से लोग आकर इस क्षेत्र में जल जंगल जमीन को तबाह कर रहे हैं, जी हां हम बात कर रहे हैं मऊगंज जिले के हर्रहा ग्राम पंचायत की जहां सभी नियमों को जूते की नोक पर रखते हुए दर्जनों स्टोन क्रेशर और पत्थर की खदान संचालित हो रहे हैं.
यह स्टोन क्रशर और खदान संचालक दीमक की तरह वर्षों से जमीन को खोखला करते हुए अपना पोषण कर रहे थे, इन दीमको ने इस क्षेत्र को किस तरह से बर्बाद किया है इसकी तस्वीर आप सेटेलाइट के जरिए देख सकते हैं.
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किसी भी अफसर और माइनिंग अधिकारी की औकात नहीं थी कि इन्हें उंगली दिखा सके. क्योंकि ज्यादातर स्टोन क्रशर नेताओं के ही आशीर्वाद से इस क्षेत्र में संचालित हो रहे हैं.
लिहाजा मऊगंज कलेक्टर संजय कुमार जैन ने वर्षों से नियम के विरुद्ध चल रही एक पत्थर खदान संचालक पर तगड़ा जुर्माना लगाकर लीज निरस्त करते हुए कार्यवाही का झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ दिया.
यह जुर्माना छोटा-मोटा नहीं बल्कि इतना बड़ा है कि खनिज माफियाओं की जड़ें हिल गई, मऊगंज कलेक्टर संजय कुमार जैन ने कार्यवाही करते हुए खदान संचालक पर 10 करोड़ 8 लाख 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, कलेक्टर की इस कार्यवाही के बाद इन खनिज माफियाओं में हड़कंप मच गया है.
दरअसल हर्रहा क्षेत्र अंतर्गत कृष्ण कुमार सिंह ग्राम नेगुडा चुरहट जिला सीधी के द्वारा काफी लंबे समय से पत्थर की खदान संचालित की जा रही थी लेकिन धीरे-धीरे खदान संचालक निर्धारित रखवा छोड़कर कदुआवन बांध के डूब क्षेत्र तक को भी खोखला कर डाला,
जब टीम जांच करने पहुंची तो मालूम चला की खदान संचालक के द्वारा अवैध रूप से 67,200 घन मीटर शासकीय भूमि पर उत्खनन किया गया है, जो शासकीय भूमि 7/1 का अंश भाग है. इसके अलावा एनजीटी के विहत प्रावधानों का भी उल्लंघन किया गया.
शिकायत के बाद जांच टीम गठित की गई थी और जांच पूरी होने के बाद इसका प्रतिवेदन मऊगंज कलेक्टर संजय कुमार जैन के समक्ष प्रस्तुत किया गया था, जिस पर एक माह पहले नोटिस भी जारी की जा चुकी है, लेकिन मऊगंज कलेक्टर संजय कुमार जैन ने 4 जुलाई 2025 को एक आदेश जारी करते हुए खदान संचालक पर 10 करोड़ 8 लाख 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए लीज निरस्त कर दी है.
इसके अलावा आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि अगर 15 दिवस के भीतर यह राशि जमा नहीं कराई जाती तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी.
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यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है की हर्रहा से लेकर जड़कुर पिपराही तक ऐसे दर्जनों खदानें और स्टोन क्रेशर संचालित हो रहे हैं जो सरकार के सभी नियमों को क्रेशर में पीसकर रहाइसी इलाकों में भी अवैध उत्खनन कर रहे हैं.
अगर 5 साल का आंकड़ा देखा जाए तो कई ऐसे आदिवासी परिवार है जो पलायन कर चुके हैं. क्योंकि खदानों से उड़ते पत्थर, क्रशर से उड़ती धूल, दिन रात वाहनों से निकलने वाले धुएं ने इन आदिवासियों के जल जंगल जमीन को बुरी तरह से दूषित किया है. आज भी मऊगंज जिले में संचारित लगभग 70% स्टोन क्रशर और खदानें नियम के विरुद्ध चल रही है.