प्रभु श्री राम की कर्मभूमि चित्रकूट का चुनावी इतिहास, जानिए कौन कब बना विधायक
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की कर्मभूमि एवं प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जानी जाने वाली चित्रकूट का चुनावी इतिहास पढ़िए विस्तार से

प्रभु श्री राम की कर्मभूमि एवं प्रमुख धार्मिक नगरी चित्रकूट जहां पर भगवान श्री राम साढ़े ग्यारह वर्षो तक रहे जिस नगरी ने प्रभु श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाया, चित्रकूट विधानसभा सन 1951 में अस्तित्व में आई यहाँ सबसे पहले रामसजीवन शर्मा विधायक बने हलाकि इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है।
पावन धर्मनगरी चित्रकूट यह 2,50,000 वोटरों यह विधानसभा 5 सर्किल में बटा हुआ है जिनमे 96 ग्राम पंचायत और 3 नगर पंचायत शामिल है जहां जिला पंचायत की चार सीटे एवं जनपद की पच्चीस सीटे रहती है।
चित्रकूट में भगवान श्री राम चित्रकूट के कण- कण में विराजमान है ऐसी मान्यता के साथ दुनियाभर के लोग चित्रकूट आकर भगवान कामतानाथ के दर्शन कर परिक्रमा करते है और चित्रकूट के प्रमुख पर्यटक स्थल, गुप्त गोदावरी, स्फटिक शिला, सती अनुसूइया, रामशैया, हनुमान धारा, मां मंदाकिनी, सरभंग मुनि आश्रम, स्वतीक्षण आश्रम, भगवान गैवीनाथ धाम, लक्ष्मण पहाड़िया, सीता रसोइया, कामदगिरि पर्वत, तथा अन्य प्राचीन मठ मंदिरों के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते है।
चित्रकूट विधानसभा सन 1951 से अस्तित्व में आई जिसमे पहले विधायक रामसजीवन शर्मा हुए फिर 1956 में मध्यप्रदेश का गठन होने के बाद चित्रकूट से अखिल भारतीय राम राज्य परिषद पार्टी के राजा कौशलेंद्र सिंह विधायक हुए, उसके बाद 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी अस्तित्व में आई और आर सिंह विधायक हुए, उसके बाद सन 1972 में कांग्रेस पहली बार चित्रकूट विधानसभा में कब्जा किया और रामचंद्र बाजपेयी विधायक बने।
इसके बाद 1977 में जनता पार्टी की इन्ट्री हुई फिर 1980 और 1985 में कांग्रेस ने पुनः कब्जा किया फिर 1990 में जनता दल और 1993 में बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट से विजय हासिल की सन 1998 और 2003 में कांग्रेस प्रेम सिंह इस विधानसभा सीट से विधायक बने। इसके बाद सन 2008 में चित्रकूट में एंट्री होती है। भाजपा की और भारतीय जनता पार्टी के सुरेंद्र सिंह गहरवार चित्रकूट विधानसभा से विधायक बनते है। उसके बाद 2013 में फिर कांग्रेस के प्रेम सिंह विधायक बनते है लेकिन 2017 में प्रेम सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ जिसमे करीब दस हजार मतों से कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी विधायक बने और 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस विजय रही! इस विधानसभा को अभी तक मे भाजपा मात्र एकबार इस सीट पर विजय हुई है।
चित्रकूट विधानसभा आज भी विकाश से काफी दूर है। क्षेत्र में बिजली पानी सहित कई मूलभूत समस्याएं बनी रहती है जिसको लेकर लोग आंदोलित भी रहते है। वही चित्रकूट में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, सहित रोजगार के साधन को लेकर के 2023 का चुनाव लड़ा जाना है।