Saurabh Sharma Case: ग्वालियर आरटीओ के पूर्व आरक्षक रहे सौरभ शर्मा की काली कमाई का काला चिट्ठा लगातार खुलकर सामने आ रहा है, 81 महीने की नौकरी में सौरभ शर्मा ने इतनी संपत्ति बना ली कि उसे खुद नहीं समझ में आ रहा था कि वह इसे कहां निवेश करें, भारत में कई व्यापार और धंधे में पैसे लगाने के बाद सौरभ शर्मा के द्वारा दुबई में भी निवेश किया गया था.
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक महीने बाद भी जांच जनसियों के हाथ सौरभ शर्मा नहीं लगा, बल्कि सौरभ शर्मा की जगह उसके रिश्तेदार और करीबियों के घरों की तलाशी ली जा रही है, एजेंसियां उन रिश्तेदारों और दोस्तों की कुंडली निकाल रही हैं, जहां सौरभ अपनी काली कमाई खपाता था.
इसी कड़ी में शुक्रवार को राजधानी भोपाल और ग्वालियर के छह से ज्यादा ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा था, जहां गाड़ी मिली थी उसके आसपास भी सौरभ के रिश्तेदार हैं, सूत्रों के मुताबिक भोपाल में देर रात तक कार्रवाई चलती रही, कई संदिग्ध दस्तावेज ईडी के हाथ लगे हैं. हालांकि पुष्टि शनिवार शाम तक नहीं की गई, सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों की जांच में पता चला है कि ग्वालियर आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा ने दुबई में भी निवेश करते हुए कई कारोबार में पैसा लगाया है.
शर्मा की जगह तिवारी सरनेम का इस्तेमाल
ग्वालियर आरटीओ का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा इतना शातिर दिमाग का है कि उसने अपने नाम की जगह करीबियों के नाम पर संपत्ति खरीद रखी है, भोपाल की जमीन भी उसकी पत्नी दिव्या शर्मा के नाम है लेकिन इसमें शर्मा सरनेम की जगह तिवारी का इस्तेमाल किया गया है इतना ही नहीं बल्कि मेंड़ोरी के जंगलों में जिस गाड़ी में सोना और पैसा मिला था वह भी सौरभ शर्मा के नाम नहीं थी.
इसके अलावा जिस गाड़ी से सौरभ शर्मा मुंबई तक भागा वह भी सौरभ शर्मा के ही करीबी शरद के नाम पर रजिस्टर्ड थी. यानी सौरभ शर्मा इस काली कमाई को छुपाने के लिए दूसरों के नाम पर संपत्ति खरीद करता था यह पैसा भले ही सौरभ शर्मा का था लेकिन संपत्ति दूसरे के नाम पर खरीदी जाती थी.