Rewa Lok Sabha Election 2024: रीवा लोकसभा चुनाव में मऊगंज जिले के दो जिला अध्यक्षों की अग्नि परीक्षा
चुनावी महाभारत में पद्मेश और राजेंद्र दोनों अध्यक्षों की अग्नि परीक्षा, 26 अप्रैल को दूसरे चरण में रीवा लोकसभा सीट पर होगा मतदान
Rewa Lok Sabha Election 2024: रीवा जिले मे लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. चुनावी महाभारत जीतने के लिऐ सभी दलो के नेता मैदानो मे कूद पड़े है. कांग्रेस बीजेपी ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है जबकि बहुजन समाज पार्टी की तरफ से अभिषेक पटेल का नाम घोषित कर दिया गया है. रीवा जिले मे लोकसभा चुनाव के लिए सिर्फ 28 दिनों तक रोचक मुकाबला होने के आसार हैं. क्योंकि यहां 26 अप्रैल को दूसरे चरण मे लोकसभा का चुनाव होना है.
दो जिला अध्यक्षों की अग्नि परीक्षा
रीवा लोकसभा सीट में सबसे अधिक चुनौती मऊगंज जिले के नव नियुक्त कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद्मेश गौतम और भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा के सामने हैं. क्योंकि कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव से पहले इन दोनों जिला अध्यक्षों की घोषणा की है. चुनाव परिणाम आने के बाद इन दोनों अध्यक्षों के राजनीतिक कद का आकलन होगा. इन दोनों अध्यक्षों के लिए यह लोकसभा का चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से काम नहीं है.
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राजेंद्र मिश्र को मोदी का सहारा
मऊगंज जिले के नवनिर्मित भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्र को मोदी का ही एक सहारा है क्योंकि राजेंद्र मिश्र को खुद नहीं पता कि जनार्दन मिश्रा ने अब तक क्या कार्य किया है. जनता के बीच जाने के बाद राजेंद्र मिश्रा जनार्दन मिश्रा की जगह नरेंद्र मोदी की उपलब्धियां गिना रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे रीवा लोकसभा सीट से जनार्दन मिश्रा नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हो.
अगर बात करें 2019 के लोकसभा चुनाव की तो मऊगंज विधानसभा क्षेत्र से जनार्दन मिश्रा को 80 हजार के लगभग मत मिले थे. 2024 के चुनाव मे भाजपा बिधायक प्रदीप पटेल ने 1 लाख पार का नारा दिए हैं. पर जनार्दन मिश्रा के पास मतदाओ के सामने गिनाने के लिए कोई भी खास उपलब्धि नहीं है. जनार्दन मिश्रा भाजपा की टिकट से अब तीसरी पारी खेलने जा रहे हैं. यहा की जनता भी जनार्दन को भली भाति जानती है और साथ ही उनके कार्यों से परिचित भी है.भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा को अपनी नाक बचाने के लिए मोदी ही एक सहारा दिखाई दे रहे है.
फिर चुनावी मुद्दा बना रीवा मिर्जापुर रेल लाइन
लोकसभा चुनाव दौरान एक बार फिर से रीवा मिर्जापुर रेल लाइन चुनावी मुद्दा बन चुकी है. 2019 के लोकसभा चुनाव दौरान ऐसा लगा कि अब रीवा मिर्जापुर रेल लाइन का सर्वे शुरू होने जा रहा है.पर चुनाव संपन्न होने के बाद ना लोकसभा के सदन में इसकी चर्चा हुई और ना ही 5 वर्षों तक भाषणों में रीवा मिर्जापुर रेल लाइन का नाम सुनाई दिया.
अब एकबार फिर चुनाव आते ही ऐसा लग रहा है कि इस बार नेता रेल की पटरी जेब में डालकर घूम रहे हैं.और चुनाव संपन्न होने के बाद पटरी विछाने का काम शुरू हो जाएगा. सांसद जनार्दन मिश्रा अपने 10 वर्षों के कार्यकाल दौरान क्षेत्र के लिए क्या योगदान दिया भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा के पास जनता के सामने उनकी उपलब्धि गिनाने के लिए भी कुछ नहीं है.
पद्मेश गौतम के लिए बड़ी चुनौती
देवतालाब और मऊगंज दोनों विधानसभा सीट में भाजपा का कब्जा है जिससे पद्मेश गौतम के सामने एक बड़ी चुनौती है. कांग्रेस पार्टी ने पूर्व विधायक नीलम अभय मिश्रा को अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाया है. मऊगंज जिले के लिए नीलम अभय मिश्रा एक नए चेहरे माने जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों तक अभी इनकी कोई पकड़ नहीं है. अभय मिश्रा जब से शराब कारोबार में शामिल हुए तब से पढ़े लिखे लोग इन्हें तस्कर के नजरियो से देखते हैं.
इनके पास चुनाव लड़ने की एक अलग कला है.जिसकी बदौलत रीवा जिले की आठ विधानसभा सीट में से सिर्फ सेमरिया सीट ऐसी रही जहां से अभय मिश्रा कांग्रेस की टिकट से विधायक निर्वाचित हुए. विपरीत परिस्थिति में कांग्रेस पार्टी को मऊगंज जिले से बढत दिलाना कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद्मेश गौतम के सामने बड़ी चुनौती है.