Madhya Pradesh

Rewa Loksabha Seat: चौंका सकता है रीवा लोकसभा सीट का परिणाम, जानिए जातीय समीकरण

रीवा लोकसभा सीट में जनार्दन, नीलम और अभिषेक के बीच त्रिकोणी मुकाबला, इन मुद्दों को ध्यान में रख जनता करेगी मतदान

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Rewa Loksabha Seat: विंध्य की रीवा लोकसभा सीट अक्सर ही चर्चाओं में रही है. यहां की जनता का अपना अलग ही राजनीतिक मिजाज है. रीवा संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने समय-समय पर कई राजनीतिक दलों को अवसर दिया और लंबे समय तक किसी एक नेता को भी स्वीकार नहीं किया है. यहां कई बार बड़े नेता भी लोकसभा का चुनाव हार चुके है.

वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव से लगातार यहा भाजपा का कब्जा है. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बाद भी पिछले चुनाव की तरह आत्मविश्वास कार्यकर्ताओं में दिखाई नही दे रहा है।जनार्दन मिश्रा को तीसरी बार सांसद बनाने डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला सहित भाजपा के 7 विधायकों की राजनीति दाव में लगी हुई है. वही कांग्रेस प्रत्याशी नीलम अभय मिश्रा ने चुनाव को रोचक बना दिया है.

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अभय मिश्रा चुनावी प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं. अब लोकसभा चुनाव में अभय मिश्रा का जादू कितना चलता है यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। मध्य प्रदेश में रीवा ही एक ऐसा संसदीय क्षेत्र रहा है जहां से पहली बार बहुजन समाज पार्टी का खाता 1991 में खुला था.

यहां से तीन बार बहुजन समाज पार्टी के सांसद चुने गए हैं. रीवा लोकसभा सीट में स्थानीय समीकरण कई बार चुनावी परिणाम बदलते रहे हैं.रीवा सांसदी क्षेत्र भी जातिवाद की चपेट में है. ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से ज्यादातर अवसर इसी वर्ग के लोगों को मिलते आए हैं.

रीवा से चुने गए सांसद नहीं बने मंत्री

रीवा संसदीय सीट से निर्वाचित होने वाले सांसद को केंद्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला. जब कई धुरंधर नेता यह मुद्दा लेकर मैदान में उतरे तो उन्हें चुनाव ही हरा दिया गया.

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चुनाव मे जनता का मुख्य मुद्दा

रीवा संसदीय क्षेत्र के चुनाव में जनता के सामने नेता तो अपना मुद्दा गिना रहे हैं पर जनता ने भी अपना मुद्दा नेताओं के सामने पेश कर रही है. रीवा जिले में सबसे बड़ा मुद्दा आवारा मवेशियों को लेकर है जहां किसानों की फासले मवेशी चौपट कर रहे हैं. अन्नदाता भूखो मरने की कगार पर है. वहीं युवाओं के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. आज भी यहा के नौजवान रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों के लिए पलायन कर रहे हैं.शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था जिले में चौपट हो चुकी है.

अनुमानित जातीय समीकरण

ब्राह्मण 5.50 लाख
क्षत्रिय 1.40 लाख
पटेल (कुर्मी) 2.30 लाख
वैश्य 2.10 लाख
कुशवाहा 90 हजार
मुस्लिम 95 हजार
अनुसूचित जाति 2.50 लाख
अनुसूचित जनजाति 1.60 लाख
अन्य 1.20 लाख
सोर्स  विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़े

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