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Corex City Rewa: कोरेक्स सिटी बनी सफेद शेरों की धरती, जानिए कैसे मेडिकल नशे में फसी 90% युवा आबादी

Corex City Rewa: मध्य प्रदेश का रीवा जिला जो आपको कोरेक्स सिटी के नाम से पूरे प्रदेश में मशहूर हो चुका है, आज हालात यह है कि यहां की 90% युवा आबादी मेडिकल नशे यानी माहौल की चपेट में है

Corex City Rewa: हमरा हंसता खेलता विंध्य, यहां कभी किसी चीज की कमी नहीं रही. प्रकृति ने इस क्षेत्र को बड़े फुर्सत से सजाय और सभारा था, रोजगार हो या ना हो पर किसान खेत में लहलहाती फसलों से ही खुशहाल था सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था पर पता नहीं विंध्य को किसकी नजर लग गई.

रीवा में कंक्रीट का जंगल बिछाने वाले रीवा विधायक मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला जिन्हें विकास पुरुष के नाम से जाना जाता है शुक्ला जी को अब पार्क के बाद अब श्मशान घाट और कब्रिस्तान की नीव भी रखनी चाहिए, क्योंकि अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो जल्द ही इसकी जरूरत पड सकती है.

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आज जिस तरह से विंध्य मेडिकल नशे यानी माहौल की चपेट में है रीवा को अब Corex City Rewa के नाम से बुलाया जाता है इसको देखते हुए ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि आने वाले समय में लोग आपके यह कंक्रीट के जंगल देख पाएंगे, क्योंकि आज युवा पीढ़ी की नसों में रक्त से ज्यादा कफ सिरप दौड़ रही है.

पूरे विंध्य क्षेत्र में कफ सिरप रूपी घाव को कैंसर बनाने में सबसे बड़ा योगदान खाकी और कड़ी का रहा, कहते हैं ना पुलिस चाहे तो मंदिर से एक चप्पल तक चोरी नहीं हो सकता.

सफेद शेरों की धरती बनी कोरेक्स सिटी – Corex City Rewa

मध्य प्रदेश का रीवा जिला जिसने पूरी देश और दुनिया को सफेद शेर की पहचान दी, आज वही रीवा जिला कोरेक्स (Corex City Rewa) को नशे के रूप में खोजने वाला जिला बन चुका है, कल तक आपने उड़ता हुआ पंजाब सुना होगा लेकिन आज बहते हुए रीवा की कहानी भी सुन लीजिए. 

Corex City Rewa: कोरेक्स सिटी बनी सफेद शेरों की धरती, जानिए कैसे मेडिकल नशे में फसी 90% युवा आबादी

साल 2011 से प्रचलित हुई कफ सिरप

साल था लगभग 2011 का जब लोगों के बीच एक खांसी की कफ सिरप खूब चर्चा में आती है, देखते ही देखते इसके शौकीन बढ़ने लगे, दवाइयां की दुकान में कोडीन युक्त बिकने वाली कफ सिरप की मांग बढ़ने लगी, लोग सभी प्रकार के नशे को छोड़कर इस और आकर्षित होने लगे, और धीरे-धीरे कफ सिरप के आदि रीवा के साथ-साथ समिपीय जिले में भी बढ़ने लगे, 

इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई तो युवा पीढ़ी, लेकिन इस आपदा में खादी और खाकी को अवसर दिखा, यह बात कड़वी जरूर है मगर कड़वा सत्य है खाकी और खादी के संरक्षण में बड़े-बड़े तस्कर तैयार होने लगे यह कफ सिरप शहरों के बाद धीरे-धीरे गांव की ओर पैर पसारने लगी. माहौल का नशा इतना खतरनाक है की मां-बाप को पता तक नहीं लगता कि उनका बच्चा ऐसे किसी नशे की चपेट में है और जब तक पता लगता है तब तक काफी देर हो जाती है.

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मध्य प्रदेश के इन जिलों में हालात बेकाबू – Corex City Rewa

मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, मऊगंज, मैहर, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर जैसे जिले ऐसे हैं जहां आज हालात बेकाबू हो चुके हैं यहां स्कूल-कॉलेज और सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ बंजर जमीनों में भी आपको कफ सिरप की खाली सीसीयो का ढेर मिल जायेगा.

जब इस काफ सिरप का उपयोग खांसी के लिए होता था तब यह मात्र 25 से 30 रुपए की कीमत में मेडिकल स्टोर पर बिकती थी बाद में सरकार के द्वारा 17 मार्च 2016 को इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके बाद यह कफ सिरप लगभग ₹200 की कीमत में बिकने लगी, यह कफ सिरप अब मेडिकल स्टोर से गायब होकर किराना स्टोर चाय पान की दुकानों में माहौल के नाम से बिकने लगी है.

अपराधों को जन्म दे रहा माहौल

देखिए मध्य प्रदेश में रोजगार की कितनी कमी है या किसी से छिपा नहीं है आमतौर पर माहौल से पीड़ित एक व्यक्ति दो से तीन की संख्या में माहौल की बोतलें धकेल रहा है, इस पैसे को इकट्ठा करने के लिए ऐसे लोग अपराधिक गतिविधियों जैसे चोरी लूट और राहजनी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं जिससे अपराधों का ग्राफ भी लगातार बढ़ता जा रहा है.

विंध्य के इस हालात के जिम्मेदार खाकी और खादी के अलावा आम लोग भी हैं, क्योंकि आप अपना अमूल्य मत देकर इन नेताओं को चुनते हैं लेकिन आप कभी इन नेताओं से सवाल नहीं करते, आप नेताओं से यह नहीं पूछते कि आपने हमारे क्षेत्र के लिए क्या किया है,

आपने हमारे बच्चों के लिए क्या किया है, आपने हमारे बच्चों के भविष्य के लिए क्या किया है, आपने शिक्षा के लिए क्या किया, आपने रोजगार के लिए क्या किया. अपने माहौल को रोकने के लिए क्या किया और आपने 5 साल बड़े-बड़े भाषणों के अलावा क्या किया.

क्या आपको पता है इसमें बलि सिर्फ आपके बच्चों की चढ़ रही है क्योंकि नेताओं के बच्चे तो विदेशों में पढ़ रहे हैं, यह वही नेताजी हैं जो चुनाव के समय आपसे वोट की भीख मांगते हैं और चुनाव जीतने के बाद आपका तेल निकलते हैं. कड़वा सच यह भी है कि जब युवा पीढ़ी माहौल के नशे में टुन्न रहेगी तो नेताजी से रोजगार नहीं मांगेगा और अगर रोजगार मिल गया तो फिर रैलियों में भीड़ किसकी होगी.

पक्ष और विपक्ष मौन

देखिए इस कैंसर रुपी काले कारोबार में किसी एक व्यक्ति का दोष नहीं दिया जा सकता, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता की अकेले राजेंद्र शुक्ला ही इसके जिम्मेदार है, इसमें विंध्य क्षेत्र के पक्ष और विपक्ष सभी नेताओं की जवाब देही है.

सभी को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस गंभीर समस्या पर विचार करना चाहिए और इसे रोकने के लिए आगे आना चाहिए, राजेंद्र शुक्ला कुछ महीने पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलकर इस नशे पर रोक लगाने के संबंध में चर्चा भी की लेकिन अब तक हालात वैसे के वैसे ही बने हुए हैं.

यहां से होती है कोरेक्स की तस्करी

 देखिए मध्य प्रदेश का रीवा और मऊगंज जिला ऐसा है जो उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है रीवा जिले का चाकघाट बॉर्डर और मऊगंज जिले का हनुमना बॉर्डर इन्हीं रास्तों से यह माहौल पूरे विंध्य में प्रवेश कर रहा है. पहले यह बड़े-बड़े तस्करों के पास जाता है उसके बाद अलग-अलग माध्यमों से यह किराना स्टोर चाय की टपरी, पान की गोमतियो से युवाओं को परोसा जाता है.

 कई बार पुलिस इन तस्करों को पकड़ भी लेती है पर हैरानी की बात यह है कि 24 घंटे के भीतर हत्या और लूट का खुलासा करने वाली पुलिस आज तक यह पता नहीं लगा पाई कि आखिर यह है माहौल कहां से आ रहा है, माहौल के धंधे में अब शराब ठेकेदार भी उतर चुके हैं जो शराब की पैकारी के साथ-साथ माहौल की भी खपत कर रहे हैं, देखिए यह बात बच्चे बच्चे को मालूम है की पुलिस और शराब कारोबारी का चोली दामन का संबंध है.

लेकिन सबसे अधिक हैरान करने वाली बात यह है कि आखिर जो यह नेता आपके वोट से चुनाव जीत कर ऐसे बड़े-बड़े पदों पर बैठे हैं  वह माहौल पर लगाम लगाने में नाकाम क्यों हो रहे हैं, क्या इन विधायकों की पुलिस सुनने को तैयार नहीं है या फिर पुलिस के साथ-साथ इन नेताओं की भी इसमें हिस्सेदारी है यह सवाल अंदर ही अंदर गूंज रहा है.

अगर माहौल पर रोक नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं है जब आम लोगों का सड़कों पर निकलना भी मुश्किल हो जाएगा नेताओं को तो सरकार ने अंगरक्षक दे रखा है उनके पास बड़ी-बड़ी गाड़ियां हैं, इन तस्करों को ढूंढने के लिए ज्यादा मशक्कत करने की आवश्यकता नहीं है अक्सर बड़े-बड़े नेताओं कीरैलियों में और मंचों में यह तस्कर आपको मिल जाएंगे, अगर इन तस्करों को खादी और खाकी का संरक्षण ना मिले तो यह पूरा कारोबार महज कुछ महीनो में ही धराशाई हो सकता है.

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