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Mauganj News: मऊगंज जिले में हुआ बीपीएल घोटाला..! जिला बनते ही अचानक पूरा गांव हुआ गरीब

Mauganj BPL Scam: मऊगंज जिले में गरीबी रेखा के नाम पर हुआ बड़ा फर्जीवाड़ा, अचानक गांव में आई गरीबों की बाढ़ और जिले में हो गया बीपीएल घोटाला

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Mauganj News: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार जहां एक ओर लोगों को गरीबी से निकालने के बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन वही मऊगंज जिले में सरकार के दावे उल्टे पड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, और अचानक मऊगंज जिले (Mauganj District) में कई ऐसे गांव सामने आये है जहां पूरा का पूरा गांव गरीब हो गया और देखते ही देखते गांव में गरीबों की बाढ़ आ गई. और इस तरह से जिले में कथित तौर पर बीपीएल घोटाले को अंजाम दे दिया गया.

जब इस पूरे मामले की पड़ताल की गई तो पाया गया कि जिला बनने के पहले इस लिस्ट में शामिल ज्यादातर गरीब पहले 20 से 50 एकड़ भूमि के काश्तकार हुआ करते थे, इस लिस्ट में शामिल कई ऐसे गरीब भी हैं जो लग्जरी वाहन भी मेंटेन करते हैं, लेकिन जैसे ही मऊगंज जिले का गठन हुआ इस गांव के लोग अचानक गरीब होना शुरू हो गए और आज हालात यह है कि पूरा का पूरा गांव लगभग गरीबी रेखा में जा चुका है.

जी हां हम बात कर रहे हैं मऊगंज जिले के नौढिया गावं की जहां अचानक 471 परिवार गरीबी रेखा में जा चुके हैं, दावा है कि इनमें से ज्यादातर परिवार सुखी और संपन्न है, इसी तरह से पताई विशेश्वर, देवतालाब, लौर सहित देवतालाब और सीतापुर सर्कल मिलाकर एक दर्जन पंचायत ऐसी हैं जहां के ज्यादातर लोग अचानक गरीब हो गए.

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गरीब बनने दिया नजराना 

मऊगंज जिले में आपने कई तरह के भ्रष्टाचार देखे और सुने होंगे लेकिन जब हमने पड़ताल की तो मालूम हुआ कि मऊगंज जिले में गरीबों को मिलने वाली सुविधाओं के नाम पर अमीरों को गरीब बना दिया गया और इस तरह से गरीबी रेखा में अपना नाम जुड़वाने के लिए अधिकारी कर्मचारियों को नजराना देकर लोग गरीब होते चले गए और देखते ही देखते मऊगंज जिले में बीपीएल घोटाला हो गया.

नायब तहसीलदार और पटवारी की भूमिका संदिग्ध

बीपीएल सूची के मुताबिक सबसे अधिक नाम वर्ष 2023-24 के बीच में जोड़े गए, जब बीपीएल सूची की पड़ताल की गई तो पाया गया कि एक ही दिन में एक ही गांव के लगभग 10 से 15 लोगों को अचानक गरीब बना दिया गया, और बीपीएल सूची में नाम जोड़ते हुए उन्हें गरीबों को मिलने वाली समस्त सुविधा दे दी गई.

जब इस संबंध में पड़ताल की गई तो गांव के लोगों ने बताया कि इस सूची में ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनके पास खेती किसानी के लिए पर्याप्त भूमि है और लक्जरी वाहन भी है इसके बावजूद भी नायब तहसीलदार और पटवारी को घूस देकर लोगों ने गरीबी रेखा में अपना नाम जुडवा लिया. यह बीपीएल घोटाला सबसे अधिक मऊगंज जिले के देवतालाब और सीतापुर सर्कल में देखने को मिला है जहां दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां लोग पैसे देकर अपना नाम बीपीएल सूची में जुड़वा रहे हैं.

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जांच में हो सकते हैं कई बड़े खुलासे 

बीपीएल कार्ड के माध्यम से सरकार गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है लेकिन मऊगंज जिले में गरीबों के हक पर अमीरों ने डाका डाल रखा है, पड़ताल में यह भी तथ्य सामने आए हैं कि जो वास्तव में गरीब है और जिनके पास गरीबी रेखा में नाम जुड़वाने के लिए पैसे नहीं है वह लोग आज भी गरीबी रेखा की सूची से वंचित है, और जो व्यक्ति सशक्त है वह पैसे देकर बीपीएल योजना का लाभ ले रहा है अगर इस पूरे मामले की कठोरता के साथ जांच की जाती है तो मऊगंज जिले की सीतापुर और देवतालाब सर्कल ही नहीं बल्कि संपूर्ण मऊगंज जिले में यह बीपीएल घोटाला देखने को मिलेगा.

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