MP Teacher E-attendance: रीवा सहित प्रदेश भर में ई-अटेंडेंस प्रणाली पर शिक्षकों का आक्रोश, स्थगन करने की मांग तेज
MP Teacher News: ई-अटेंडेंस प्रणाली के खिलाफ लामबंद हुए शिक्षक, सभी विभागों में समान रूप से लागू करने की मांग

MP Teacher E-attendance: मध्य प्रदेश में शिक्षकों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से 1 जुलाई से अनिवार्य ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू करने के निर्देश स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए थे, जिसके माध्यम से शिक्षकों के विद्यालय आने और विद्यालय से जाने पर ई-अटेंडेंस के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करवाना था, लेकिन अब इस प्रणाली का विरोध रीवा सहित पूरे प्रदेश भर में देखने को मिल रहा है.
ई-अटेंडेंस प्रणाली (MP Teacher E-attendance) को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा मंच मध्य प्रदेश की जिला शाखा रीवा के अध्यक्ष राजेश तिवारी ने कहा है कि यह व्यवस्था शिक्षा विभाग के शिक्षकों के लिए एक तरफा और भेदपूर्ण है क्योंकि अन्य विभागों में इसे लागू नहीं किया गया.
ई-अटेंडेंस प्रणाली को बंद करने की मांग करते हुए राजेश तिवारी ने तर्क दिया है कि वर्तमान में कई ऐसे विभाग हैं जहां अधिकारी और कर्मचारी मनमानी रूप से काम कर रहे हैं, लेकिन सिर्फ शिक्षकों पर ही ई-अटेंडेंस का दबाव बनाया जा रहा है.
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रीवा और मऊगंज की 70 से अधिक स्कूलों में नेटवर्क की समस्या
स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों को एप के माध्यम से प्रतिदिन अटेंडेंस लगाने के निर्देश तो दे दिए गए हैं लेकिन रीवा और मऊगंज जिले के 70 से अधिक ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां आज भी नेटवर्क की समस्या बनी हुई है, इन स्कूलों तक नेटवर्क पहुंचाने में सभी टेलीकॉम कंपनियां असमर्थ हैं.
अगर मऊगंज जिले की बात की जाए तो तराई आंचल की गढ़वा, बहेराडाबर से लेकर जड़कुर, पिपराही तक कई ऐसी स्कूल है जहां नेट चलना तो दूर शिक्षकों के मोबाइल फोन की रिंगटोन तक नहीं बजती, इस क्षेत्र में निवास करने वाली जनता को मोबाइल फोन से बात करने के लिए पहाड़ पर चढ़कर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है.
सभी विभागों में E-attendance लागू करने की मांग
राजेश तिवारी ने सरकार से मांग की है कि जब तक यह प्रणाली समस्त विभागों में समान रूप से लागू नहीं होती तब तक इस शिक्षा विभाग में भी लागू न किया जाए, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षक पहले से ही एम-शिक्षा मित्र और एजुकेशन पोर्टल के माध्यम से नियमित रूप से जानकारी दर्ज कर रहे हैं, ऐसे में नया ई-गवर्नेस प्लेटफार्म लागू करना गैरजरूरी और अव्यवहारिक है, उन्होंने कहा कि सरकार समय पर इसे वापस ले अन्यथा शिक्षक सड़क पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.