Collector Sonia Meena: हाई कोर्ट में सोनिया मीणा के हाजिरी माफी का पत्र लहराने वाले अपर कलेक्टर और तहसीलदार को 6 महीने की ट्रेनिंग का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में न्यायाधीश के सामने नर्मदा पुरम कलेक्टर सोनिया मीणा के हाजिरी माफी का पत्र लहराने वाले अपर कलेक्टर और तहसीलदार को न्यायालय ने 6 महीने की ट्रेनिंग में भेजने का आदेश जारी किया है
Collector Sonia Meena: चर्चाओं में रहने वाली नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीणा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (HC Jabalpur) में अपनी हाजिरी माफी पेश करने के मामले में एक बार फिर सुर्खियों में है दर असल कलेक्टर को न्यायालय ने स्वयं पेश होने के लिए कहा था लेकिन कलेक्टर सोनिया मीणा न्यायालय ना पहुंचते हुए हाजिरी माफी का पत्र भेज दिया
हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा (IAS Sonia Meena) के उस रवैये को बेहद गंभीरता से लिया, जिसमें उन्होंने उन्होंने हाजिरी माफी के लिए सीधे न्यायाधीश को चिट्टी लिखने की गलती की थी, बेंच के सामने कलेक्टर का पत्र लहराने वाले अपर कलेक्टर नर्मदापुरम देवेंद्र कुमार सिंह और तहसीलदार सिवनी मालवा राकेश खजूरिया को 6 महीने की ट्रेनिंग पर भेजने के ओदश दिए हैं.
यह रवैया न्यायालय की गरिमा का हनन – हाई कोर्ट
इन दोनों अधिकारियों से एक साल के लिए अर्ध न्यायिक शक्ति और मजिस्ट्रियल शक्तियों के निर्वहन पर रोक लगाने का भी आदेश हाईकोर्ट ने दिया है, एकलपीठ ने आदेश में स्पष्ट किया कि कलेक्टर नर्मदापुरम का सीधे कोर्ट को पत्र लिखना सही नहीं था, उनका यह रवैया न्यायालय की गरिमा के हनन सदृश है. कायदे से कलेक्टर को महाधिवक्ता के माध्यम से आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए था, लिहाजा मुख्य सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वे इस कृत्य के लिए कलेक्टर नर्मदापुरम, अपर कलेक्टर व तहसीलदार सिवनी मालवा की सर्विस बुक में एंट्री कर उसकी सर्टिफाइड कॉपी मुख्य सचिव एक माह में हाईकोर्ट के समक्ष पेश करें और की गई कार्रवाई से भी अवगत कराएं
अपर कलेक्टर तहसीलदार को ट्रेनिंग का आदेश
हाईकोर्ट की पीठ ने अपर कलेक्टर और तहसीलदार की छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग के साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हें इस दौरान सभी तरह के कार्य सीखने होंगे, इसके बाद उन्हें किसी सीनियर अधिकारी के सुपरविजन में 6 महीने के लिए पदस्थ किया जाएगा. जो यह रिपोर्ट देंगे के दोनों अधिकारी कार्य कुशल हो गए हैं, इसके बाद ही उनकी पदस्थापना कहीं और की जा सकेगी और मजिस्ट्रियल पॉवर दिए जाने की समीक्षा किए जाने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा.
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