BJP Rashtriya Adhyaksh 2025: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव पर बनी बड़ी सहमति, सामने आया यह बड़ा चेहरा
शिवराज सिंह चौहान स्मृति ईरानी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के लिए सामने आया बड़ा चेहरा

BJP Rashtriya Adhyaksh 2025: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव बीरबल की खिचड़ी की तरह हो चुका है जो पकने का नाम नहीं ले रहा है, देश के लोग और तमाम विपक्षी पार्टियों नजर गडाए बैठी हुई हैं कि आखिर कब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा होगी.
अब तक दिल्ली चुनाव का हवाला देकर भाजपा अपनी नाक बचा रही थी लेकिन अब सबको मालूम चलने लगा है कि बीजेपी कि गुजरात लॉबी और RSS के बीच कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है, लिहाजा इसका परिणाम यह है कि अब तक भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा नहीं कर पाई है.
इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आ रही है जो भाजपा की गुजरात लॉबी को तगड़ा झटका दे सकती है, कहा ऐसा जा रहा है कि संघ और भाजपा की गुजरात लॉबी दोनों अपने-अपने पसंदीदा राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति करने पर अड़े हुए हैं.
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संघ अपना पसंदीदा राष्ट्रीय अध्यक्ष बैठना चाहता है जो गुजरात लॉबी को कमजोर और पूरे भाजपा पर अपना कंट्रोल जमा सके, लेकिन वहीँ गुजरात लॉबी यह चाहती है कि भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई ऐसा व्यक्ति हो जो उनके इशारे पर चले, अर्थात मोदी-शाह के हाथ की कठपुतली बनकर रहे. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ऐसा दावा कर रही है कि संघ ने मोदी से उनका इस्तीफा तक मांग लिया है, मीडिया रिपोर्ट्स कह रही हैं कि संघ ने शर्त रखी है कि या तो नरेंद्र मोदी इस्तीफा दे दें या फिर उनके पसंद का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने दे.
इसका असर ऐसा है कि भाजपा और संघ से जुड़े हुए कई बड़े नेता लगातार दिल्ली दरबार का चक्कर लगा रहे हैं जिसमें से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्मृति ईरानी, भूपेंद्र यादव मनोहर लाल खट्टर जैसे कई लोग शामिल है. लेकिन इस भीड़ में ओबीसी वर्ग से आने वाला एक ऐसा चेहरा है जिसने बिहार और महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा को जमकर फायदा दिलाया और आगे आने वाले यूपी-बिहार विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए संजीवनी साबित हो सकता है.
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दोस्तों लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के द्वारा 400 पार का नारा दिया गया था अगर भाजपा 400 के उस पार चली जाती तो शायद अब तक गुजरात लॉबी ने संघ को ठिकाने लगा दिया होता. लेकिन 400 के पार का नारा देने वाली भाजपा 400 के इस पर ही रह गई और आज पूरी की पूरी बीजेपी को यह मालूम हो चुका है कि संघ के बिना सिंहासन का सफर मुश्किल है,
चुनाव के समय जेपी नड्डा ने एक बयान दिया था कि भाजपा को अब संघ की जरूरत नहीं है लिहाजा संघ ने अपना हाथ खींच लिया और 400 पर का नारा धारा का धरा रह गया, लिहाजा गुजरात लॉबी को नीतीश और चंद्रबाबू के सामने गिड़गिड़ाना पड़ा. और अब गुजरात लॉबी को नीतीश और चंद्रबाबू के सारे पर नाचना भी पड़ रहा है
जेपी नड्डा के उस बयान से फर्क यह पड़ा की अब किसी भी कीमत पर संघ जेपी नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर देखना नहीं चाह रहा है, लिहाजा यह साफ हो चुका है कि अब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का फैसला संघ और गुजरात लॉबी के बीच चल रही खींचतान के कारण अटका पड़ा है.
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संघ और भाजपा के बीच अब तक खींचतान चल ही रही थी किसी बीच एक ऐसा नाम सामने आ चुका है जिस पर अब सहमति बनती हुई दिखाई दे रही है यह नाम ऐसा है जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश और बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव में भी खूब फरक पढ़ने वाला है. आगे हम इस नाम की भी चर्चा करने वाले हैं लेकिन इससे पहले आपको बता दें कि भाजपा और संघ के द्वारा लगभग 10 से अधिक ऐसे नाम रखे गए हैं जो राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे दौड़ रहे हैं.
दोस्तों जब बात राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों हो रही है तो ऐसे में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कैसे पीछे रह सकते हैं, शिवराज सिंह चौहान ऐसे व्यक्तियों में शामिल हैं जिन्हें पार्टी के साथ-साथ संघ भी पसंद कर रहा है, इसके अलावा देश में भी उन्हें एक सरल सहज नेता के रूप में देखा जाता है, शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और छह बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और आज भी शिवराज सिंह चौहान की बदौलत मोहन यादव मध्य प्रदेश की कुर्सी पर विराजमान है.
इस लिस्ट में स्मृति ईरानी का नाम भी तेजी के साथ दौड़ रहा है, स्मृति ईरानी को कई अहम मंत्रालय संभालने के साथ-साथ प्रशासनिक अनुभव भी है, इसके अलावा पार्टी के लिए मजबूत महिला चेहरा होने के साथ-साथ RSS के साथ अच्छे संबंध और हिंदी बेल्ट के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी स्मृति ईरानी का अच्छा खासा प्रभाव है.
दोस्तों वैसे तो यह लिस्ट काफी लंबी है लेकिन इस लिस्ट में कई ऐसे नाम है जिनकी चर्चा खूब हो रही है इसमें से सुनील बंसल, धर्मेन्द्र प्रधान, रघुवर दास, डी. पुरंदेश्वरी, तमिलिसाई सौंदर्यराजन जैसे लोग शामिल हैं लेकिन इस लिस्ट में मनोहर लाल खट्टर भी हैं जो हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं कहां ऐसा जा रहा है कि गुजरात लॉबी यानी कि मोदी और शाह के द्वारा मनोहर लाल खट्टर को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया है ऐसा इसलिए ताकि पूरी बीजेपी गुजरात लॉबी की कंट्रोल में रह सके, लेकिन मनोहर लाल खट्टर के नाम पर कोई सहमत बनती दिखाई नहीं दे रही है.
दोस्तों इस लिस्ट में सबसे प्रबल नाम है एक ऐसे व्यक्ति का है जिसके नेतृत्व में भाजपा ने बिहार और महाराष्ट्र के चुनाव में कमाल कर दिखाया था, दोस्तों यह नाम है भूपेंद्र यादव का है जो वैसे तो राजस्थान के अलवर से लोकसभा के सदस्य हैं लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए उनका नाम सभी चुनौतियों पर खरा उतर रहा है.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र यादव के अंदर कई तरह की खूबियां हैं भूपेंद्र यादव जो कि ओबीसी वर्ग से आते हैं इसके अलावा राहुल गांधी, अखिलेश यादव जिस तरह से जाति वाली राजनीति करते हैं उसमें भूपेंद्र यादव सटीक जवाब हो सकते हैं, राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि भूपेंद्र यादव उत्तर प्रदेश और बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी को खूब लाभ दिला सकते हैं.
ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार प्रभारी के तौर पर उन्होंने पार्टी को 40 से 39 सीट दिलवाई थी और महाराष्ट्र में महायुद्ध की प्रचंड जीत का श्रेय भी भूपेंद्र यादव को ही मिलता है, लिहाजा पूरी पूरी संभावना है की भूपेंद्र यादव भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जगह ले सकते हैं.
लेकिन कुछ राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि पार्टी और संघ किसी ऐसे नाम का भी ऐलान कर सकती है जो सभी को हैरान कर सकता है. जैसे मध्य प्रदेश राजस्थान में मुख्यमंत्री की घोषणा हुई थी ठीक उसी तर्ज पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा भी हो सकती है, यानी यह भी कहा जा सकता है कि किसी आम कार्यकर्ता को भी राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी दी जा सकती है.
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