मऊगंज जिले में स्थित देव तालाब शिव मंदिर का इतिहास, आखिर एक रात में कैसे बना यह महादेव मंदिर
मऊगंज जिले में स्थित देवतालाब शिव मंदिर का इतिहास, एक रात में कब और किसने बनाया यह मंदिर
अगर आप मध्यप्रदेश के रीवा सतना और सीधी जिले से हैं तो मुझे इस मंदिर में बताने की जरूरत नही है
क्यों कि आप Deotalab Shiv Mandir के बारे में बखूबी जानतें होंगे. देवतालाब मध्यप्रदेश के नवगठित जिले मऊगंज में स्थिति है पहले ये रीवा जिले में आता था लेकिन 15 अगस्त 2023 को मऊगंज नया जिला बनाया गया जिससे देवतालाब मऊगंज जिले में शामिल हो गया. देवतालाब का शिव मन्दिर वर्षों से रीवा, सीधी और सतना के लोगों के लिए बर्षों से आस्था का केंद्र बना हुआ है.
एक रात में बन गया अदभुत Deotalab Shiv Mandir
इस मंदिर में हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु शिव मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं, देवतालाब मंदिर को लेकर वहां के रहवासिओं के अनुसार कहा जाता है की यह विशाल मंदिर एक ही पत्थर में बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण रातो-रात हुआ था और इसे स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था। यहाँ के4 लोगों का कहना हैं कि उनके दादा परदादा बतातें हैं कि उन्हें कुछ लोगों ने बताया कि जब सुबह वे उठकर देखें तो मंदिर बना हुआ था। आज भी अगर देवतालाब मंदिर को लेकर पूछा जाता है तो लोगों द्वारा बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में हुआ।
ऐसा कहा जाता है कि रात को मंदिर नहीं था लेकिन सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर विशाल मंदिर बना हुआ मिला था। लेकिन किसी को यह जानकारी नहीं है की मंदिर का निर्माण किसने करवाया, और कैसे हुआ। यहां के लोग बतातें हैं कि उनके पूर्वजों ने बताया की मंदिर के साथ ही यहां पर आलौकिक शिवलिंग का भी उत्पत्ति हुई थी।
यह शिवलिंग काफी रहस्यमयी है,
यहां कि शिवलिंग दिन में चार बार रंग बदलती है। यहां के लोगों का कहना हैं कि उनके दादा परदादा बतातें हैं कि यहां एक शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय हुआ करतें थें वे भगवान शिव के परमभक्त थे। वे देवतालाब में शिव के दर्शन की आकांक्षा रखते थे जिसके लिए वे ज़िद लगाये हुये थे और अपनी जिद को मनवाने के लिए वे शिव की साधना में लीन थे. जिसके बाद उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने भगवान विश्वकर्मा को मंदिर बनवाने के लिए आदेशित किया की वे महर्षि को दर्शन देने के लिए यहां निर्माण करवाएं।. उसके बाद रातों रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई।
शिव’ की नगरी ‘देवतालाब’ का नाम ही तालाब से मिलकर बना है। Deotalab Shiv Mandir के आसपास कई तालाब हैं। वैसे देवतालाव में कई तालाबों का होना, यहां की विशेषता है। शिव मंदिर प्रांगण में जो तालाब है यह ‘शिव-कुंड’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस कुंड से जल भरकर ही श्रद्धालु सदाशिव भोलेनाथ के पंच शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। मंदिर के आसपास के क्षेत्रों के लोगों के अनुसार मान्यता ऐसी है कि शिव-कुंड से पांच बार जल लेकर पांचों मंदिर में जल चढ़ाने पर सारे काम सफल होतें हैं।
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यहां के लोगों की मान्यता यह भी है कि बाबा धाम यानी कि झारखंड के देवघर में स्थित शिव मंदिर में जल चढ़ाने के बाद अगर देवतालाब में स्थित शिव मन्दिर में जल नही चढ़ाया तो आपकी पूजा अधूरी है। जिस बजह से सावन मास में प्रतिया दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आतें है और शिव में गंगा जल चढ़ाकर अपने और अपने परिवार के अच्छे भविष्य की कामना करतें हैं।
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