Mauganj News: लूट के फर्जी मामले में मऊगंज भाजपा जिला अध्यक्ष देंगे इस्तीफा..?
बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि पुलिस वालों से बड़ा कोई गुंडा नहीं होता यह कहावत मऊगंज जिले में पुलिस ने साबित कर दी है,
मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है मऊगंज में भाजपा के विधायक हैं लेकिन मऊगंज में पुलिस के द्वारा भाजपा जिला उपाध्यक्ष के साथ बदसलूकी हो जाती है, इतना ही नहीं बल्कि मऊगंज भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा की आंखों के सामने देखते ही देखते पुलिस ने कूटरचित तरीके से लूट का फर्जी अपराध दर्ज कर लिया.
मध्य प्रदेश में सुशासन की दुहाई देने वाली मोहन सरकार, मऊगंज विधायक, मऊगंज भाजपा जिला अध्यक्ष, मऊगंज पुलिस थाना में लूट का यह फर्जी अपराध दर्ज होने के बाद सवालों के घेरे में घिर गए है. हैरानी की बात यह है कि योजनाबद्ध तरीके से दर्ज कराई गई फर्जी लूट के इस मामले में सब ने चुप्पी साध रखी है, सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक किसी भी भाजपा नेता ने अपनी जुबान से फर्जी लूट मामले की जांच करने का नाम तक नहीं लिया. ऐसे में क्या भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्र को इस्तीफा दे देना चाहिए..?
यह है पूरा मामला
यह पूरा मामला एक्सीडेंट से जुड़ा हुआ है दरअसल सितंबर महीने में अपनिल कुमार मिश्रा निवासी धर्मपुरा की बस ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी जिसमें बाइक सवार युवक सुमित पाण्डेय को चोट आई थी और बाइक भी क्षतिग्रस्त हो गई थी.
इस घटना के समय दिल्लू पयासी की मध्यस्थता में बाइक सवार युवक और बस संचालक के बीच समझौता हुआ था जिसमें बस मालिक के द्वारा युवक का उपचार कराने सहित बाइक के नुकसान की भरपाई करने की बात कही गई थी.
और सबसे बड़ी बात यह है कि बस संचालक दिल्लू पयासी का रिश्तेदार था जिसने सुरक्षा की दृष्टि से अपनी बस को दिल्लू प्यासी के बाईपास स्थित ढाबे में अपनी बस को खड़ा करा दिया, काफी समय बीत गया जब दिल्लू प्यासी ने बस मलिक से पैसे की भरपाई करने के लिए कहा तो बस मालिक अपनिल मिश्रा ने पैसे देने से मना कर दिया इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो गई.
पैसे देने के डर की वजह से बस संचालक लगभग 2 से 3 महीने तक अपनी बस को लेने नहीं गया और बाद में मऊगंज थाना प्रभारी राजेश पटेल के संपर्क में आकर बस संचालक ने कूटरचित तरीके से लूट की झूठी साजिश रची, और सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस ने बिना मामला दर्ज किया ही दिल्लू प्यासी को थाने बुलाकर लॉकअप में बंद कर दिया और बाद में योजना अनुसार लूट का झूठा मामला दर्ज किया गया.
जब बाद में भाजपा जिला उपाध्यक्ष विपिन मिश्रा को इस बात की जानकारी लगी तो वह मऊगंज पुलिस थाना पहुंचकर थाना प्रभारी राजेश पटेल से सवाल किया कि आखिर बिना मामला दर्ज किया ही गिरफ्तारी कैसे हो गई जिस पर राजेश पटेल ने विपिन मिश्रा के साथ भी बदसलों की कर दी जिसके जानकारी लगने के बाद मऊगंज भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा भी मौके पर पहुंचे.
फर्जी अपराध की साजिश
मऊगंज भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा और जिला उपाध्यक्ष विपिन मिश्रा की आंखों के सामने पुलिस ने देखते ही देखते लूट का फर्जी अपराध दर्ज कर दिया, राजेंद्र मिश्रा आधे घंटे तक पुलिस थाना मऊगंज में बैठे रह गए और दूसरे कमरे में लूट के फर्जी अपराध की साजिश रची जा रही थी.
राजेंद्र मिश्रा के थाना में बैठे-बैठे ही पुलिस ने लूट का फर्जी अपराध दर्ज कर लिया, और FIR लेकर उनके सामने पहुंच गई, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि राजेंद्र मिश्रा जैसे लोग जो इतने बड़े पद पर बैठे हुए हैं उन्होंने लूट के इस फर्जी मामले पर एक शब्द नहीं बोला. यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि अपनी ही सरकार में जब पुलिस द्वारा इस तरीके से फर्जी अपराध दर्ज किया जा रहा था तो राजेंद्र मिश्रा की नैतिक जिम्मेदारी होती है की इस पूरे मामले को प्राथमिकता के साथ उठाना चाहिए और पीड़ित को न्याय दिलाना चाहिए अन्यथा अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
दिल्लू प्यासी को झूठे मामले में फसाने की जानकारी जैसे ही उनके समर्थकों को लगी तो थाने के बाहर सैकड़ो लोगों की भीड़ लग गई, दिलों प्यासी के समर्थकों को लगा की मऊगंज थाने में भाजपा जिला अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा जैसे बड़े नेता आए हैं तो जरूर न्याय मिलेगा लेकिन भाजपा जिला अध्यक्ष ने फर्जी अपराध के संबंध में एक शब्द तक नहीं बोला जब मीडिया ने रात में थाने आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि भाजपा जिला उपाध्यक्ष के साथ थाना प्रभारी ने बदसलू की की है इसलिए वह थाने आए हैं.
दोस्तों यहां पर बात मात्र दिल्लू प्यासी कि नहीं हो रही है यहां बात हो रही है फर्जी अपराध की की आखिर पुलिस चाहे तो किसी को भी फर्जी अपराध में फंसा सकती है यह व्यक्ति दिल्लू प्यासी ही नहीं बल्कि, दिल्लू खान भी हो सकता है, दिल्लू सिंह भी हो सकता है, दिल्लू गुप्ता भी हो सकता है और सबसे बड़ी बात दिल्लू पटेल भी हो सकता है. जब हमने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो हमें कई ऐसे सीसीटीवी फुटेज भी मिले हैं जो सीधे तौर पर यह बताते हैं कि मऊगंज पुलिस के द्वारा किस तरीके से इस पूरे फर्जी मामले की साजिश रची गई, और हम जल्द ही पुलिस की साजिश का वीडियो भी अपनी इसी चैनल पर प्रसारित करेंगे जिसमें साफ-साफ देखा जा सकता है कि लूट का पूरा मामला फर्जी है.
जनप्रतिनिधि सिर्फ नेतागिरी चमकाने के लिए होते हैं
इस फर्जी अपराध के मामले में ना तो मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल बोलने को तैयार हुए न भाजपा जिला अध्यक्ष और ना ही कोई और नेता, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस जिस पर चाहे उसे पर मामला दर्ज कर सकती है, क्या पुलिस किसी को भी झूठे केस में फंसा सकती है, क्या जनप्रतिनिधियों की कोई जवाबदारी नहीं होती, क्या जनप्रतिनिधि सिर्फ नेतागिरी चमकाने के लिए होते हैं, और सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि क्या दिल्लू प्यासी को न्याय मिलेगा..?
फिलहाल इस मामले में एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें आधा अधूरा वीडियो दिखाकर मऊगंज थाना प्रभारी राजेश पटेल को बचाने की साजिश भी हो रही है, सबसे बड़ी बात यह है कि मऊगंज थाने के भीतर का यह वीडियो आखिर सार्वजनिक कैसे हो गया, इसके संबंध में जब हमने मऊगंज भाजपा जिला उपाध्यक्ष बिपिन मिश्रा से बातचीत की तो उन्होंने इस पर बड़ा खुलासा किया है
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