MP News: एमपी के सरकारी अस्पतालों में पहुंची अमानक दवाइयां, 28 कंपनियां ब्लैकलिस्ट
मध्य प्रदेश के चिकित्सा तंत्र में बड़ी लापरवाही आई सामने, बिना जांच के अस्पताल पहुंची अमानक दवाइयां, 28 कंपनियों पर कार्यवाही
MP News: प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में अमानक दवाएं बांटने का मामला सामने आया है। लापरवाही का यह बड़ा मामला है। आलम यह है कि जब दवाओं की सप्लाई होने से पहले उनके सैंपल लैब में टेस्ट किए जाते हैं। साल 2023 में स्वास्थ्य विभाग ने अमानक पाए जाने पर 28 कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड किया था। दिलचस्प है कि जिन अमानक दवाओं की आपूर्ति की गई है, उनमें किडनी की बीमारियों से लेकर दर्द की दवाएं व आइ ड्रॉप भी शामिल हैं।
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सप्लाई से पहले नहीं हुई टेस्टिंग
सरकारी अस्पतालों में दवा सप्लाई से पहले थर्ड पार्टी लैब जांच रिपोर्ट देनी होती है। स्वास्थ्य विभाग बाहरी लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर कंपनियों को सप्लाई का आर्डर दे देता है। समय-समय पर विभाग दवाओं की रैंडम चेकिंग सरकारी लैब में कराता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दवाओं की सप्लाई से पहले सरकारी लैब में टेस्टिंग हो तो यह स्थिति न बने।
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WHO जीएमसी मानक सर्टिफिकेट जरूरी
मप्र पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉपोर्रेशन (MP Public Health Service Corporation) के एमडी डॉ. पंकज जैन का कहना है कि कंपनियों के पास WHO जीएमसी मानक सर्टीफिकेट होना अनिवार्य है। इसके साथ कंपनी अपनी लैब से एक रिपोर्ट दवाओं के साथ लगाती है, जिसमें दवा से जुड़ी सभी जानकारी होती है.
इसके बाद कंपनी राज्य में स्थित NABL मान्यता प्राप्त लैब से दवाओं के लिए ओके रिपोर्ट लेती है। इसके बाद ही अस्पतालों में दवा सप्लाई होती है। बाद में अस्पतालों में दवाओं की रैंडम चेकिंग की जाती है। जिसे आगे टेस्ट के लिए सरकारी लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। यहां की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाती है।
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