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Mauganj News: मऊगंज जिले के आदिवासियों ने सीएम मोहन फूफा से लगाई गुहार, बचाइए हमारा अस्तित्व

मऊगंज जिले के इन आदिवासी बाहुल्य गावो के अस्तित्व पर संकट, माफिया कर रहे धरती झलनी

Mauganj News: मऊगंज जिले के आदिवासी बहुल्प गांवो पर संकट के बादल मड़राने लगे है. क्योकि खनिज माफिया नियम कानून को दरकिनार कर वे रोकटोक यहा की धरती झलनी कर रहे है. पीड़ित आदिवासियों ने मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव से मदद की गुहार लगाई है आदिवासियों ने कहा फूफा हमारा अस्तित्व बचाइए, क्योंकि इन दिनों मऊगंज जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में हरियाणा बिहार राजस्थान उत्तर प्रदेश से लोग आकर हमारा जल जंगल और जमीन नष्ट कर रहे हैं. हैवी ब्लास्टिंग से पूरे गांव की हवा प्रदूषण हो गई है. और यहां की धरती रात में भी डोलने लगती है.

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मऊगंज जिले के हर्रहा, हरई प्रताप सिंह जड़कुड़ पिपराही वीरादेई जहा आदिवासी बाहुल्य आवासीय इलाकों मे दो दर्जन से ज्यादा स्टोन क्रेशर संचालित है, जहा संचालित स्टोन क्रेशरो से उड़ने वाले प्रदूषण रोकने के लिऐ कोई समुचित उपाय नही किया गया है. इतना ही नही खदान की लीज कही और है और खुदाई कहीं और हो रही है. खनिज नियमो से ज्यादा की गहराई से पत्थरो की खोदाई हो रही है. अब गाव का अस्तिव ही खतरे मे दिखाई दे रहा है.

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार एक तरफ आदिवासियों को बढावा देते हुऐ जंगलो की जमीनो पर पट्टा बाट रही है. वही दूसरी तरफ मऊगंज जिले में खनिज माफिया अधिकारियों से साठगांठ करके आदिवासियों का शोषण कर रहे है. रात को सोते समय भी यहां के निवासियों को शुद्ध हवा नसीब नहीं हो रही है. अगर मऊगंज जिले के टीवी मरीजो का आकड़ा एक वर्ष पूर्व का देखा जाय तो सबसे ज्यादा मरीजो की संख्या हर्रहा और बहेराडाबर से सामने आई थी. अगर इसी तरह खनिज माफिया को संरक्षण मिलता रहा तो आने वाले 50 वर्षों बाद इन आदिवासी बाहुली गांवो का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा.

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