Mauganj Jila: मऊगंज जिला को अब तक नहीं मिली जिले जैसे सुविधाएं, विधि के छात्रों ने भविष्य की कुर्बानी देकर चुकाई जिले की कीमत
मऊगंज को जिला बने 1 वर्ष पूरा हो गया है लेकिन अब तक यहां जिले जैसी सुविधाएं नहीं मिली आज भी बदल व्यवस्था की वजह से लोग परेशान हैं
Mauganj Jila: मऊगंज जिला तो मिला पर जिले जैसी सुविधाएं नहीं मिली और जिला बनने की कीमत विधि के छात्रों ने अपने भविष्य की कुर्बानी देकर चुकाई, यहां की व्यवस्थाएं बदहाल है और अब तो मरीजों का भी सौदा होने लगा है, चलिए फिर एक और नजर डालते हैं मऊगंज जिले के विनाश रूपी विकास पर.
मऊगंज जिले का विकास देख कर ऐसा लग रहा है जैसे मुख्यमंत्री मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला एमपी के इस 53वें जिले की गिनती ही भूल चुके हैं, 15 अगस्त से मऊगंज को जिला बने 1 वर्ष हो गया, मऊगंज जिले की मांग पिछले लगभग 30 वर्षों से चली आ रही थी यहां की जनता ने नेताओं के सामने गिड़गिड़ाया की साहब इसे जिला बना दीजिए रीवा काफी दूर पड़ता है आने-जाने में काफी कठिनाई होती है.
लेकिन नेताओं को तो सिर्फ अपनी नेता गिरी ही चमकानी थी हर बार जिले के नाम पर मऊगंज वासियों से धोखा किया गया और वोट समेत लिए गए, मऊगंज जिले का विकास इसलिए भी नहीं हो पाया क्योंकि यहां पर जिस दल की राज्य में सरकार बनती थी उस दल का विधायक नहीं बनता था यह इतिहास मऊगंज ने वर्ष 2018 तक दोहराया.
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2018 के विधानसभा चुनाव दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मऊगंज के खटखरी में आते हैं और उन्होंने जनता से वादा किया कि आप प्रदीप पटेल को ज़िताओ हम मऊगंज को जिला बनाएंगे, जनता ने शिवराज पर ऐसा अटूट विश्वास किया कि उन्होंने आंख बंद करके कमल का बटन दबाया, प्रदीप पटेल विधायक बनकर आए लोगों को लगा जिला की घोषणा होगी और मऊगंज के दिन बदलेंगे.
लेकिन मऊगंज जिला इतनी आसानी से कहां बनने वाला था, जब वर्ष 2023 के चुनाव की सर्वे रिपोर्ट आई तो पता लगा मऊगंज और देवतालाब विधानसभा से भाजपा की नई या डूबने वाली है, तब दोबारा से शिवराज को मऊगंज वीडियो की याद आई, तब उन्होंने 15 अगस्त 2023 को जिला बनाने की घोषणा की.
मऊगंज जिला बनने के बाद विकास हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन शहीद केदारनाथ महाविद्यालय के छात्रों का भविष्य अंधकार में जरूर चला गया, दरअसल जहां वर्तमान में कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय संचालित हो रहा है वह भवन LLB के छात्रों के लिए बनाया गया था.
लेकिन सरकार को चुनाव जीतने के लिए मऊगंज को जिला बनाने की इतनी जल्दबाजी थी कि इसके चक्कर में कॉलेज के भवन को कलेक्टर और एसपी कार्यालय बना दिया और एलएलबी के छात्रों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया. अब ना नए छात्रों का एडमिशन हो रहा है और ना ही यहां से पास हो चुके छात्रों को वकालत का लाइसेंस मिल रहा है.
शासकीय शहीद केदारनाथ महाविद्यालय वर्ष 1967 में मऊगंज के पूर्व विधायक पंडित रामधनी मिश्रा के द्वारा स्थापित किया गया था तब से यहां पर BA, BSC के साथ-साथ LLB की भी पढ़ाई होती थी बाद में 1981 में इसे शासकीय महाविद्यालय का दर्जा मिल गया और 2023 तक महाविद्यालय में LLB की कक्षाएं नियमित संचालित होती थी, इस महाविद्यालय में सीधी सिंगरौली सतना सहित कई जिलों से छात्र आकर यहां पढ़ाई करते थे. लेकिन जिला बनने के बाद न जाने महाविद्यालय को किसकी नजर लगी कि अचानक से एलएलबी की मानता ही समाप्त कर दी गई.
छात्रों की इतनी बड़ी हानि होने के बाद ना तो पक्ष आया और ना विपक्ष, विधि शंकाय के छात्र कई दिनों तक तपती दोपहरी में खुले आसमान के नीचे धरना देते रहे लेकिन कलेक्टर के आश्वासन के सिवा उन्हें कुछ नहीं मिला, उनका हाल पूछने ना पक्ष के नेता आए और ना विपक्ष के. BCI ने यह कह कर मान्यता समाप्त कर दी की LLB के लिए अलग से भवन होना चाहिए लेकिन कॉलेज के भवन में तो SP और कलेक्टर कार्यालय संचालित हो रहा है.
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मऊगंज जिले में उद्योग और रोजगार की स्थिति
पूर्व के नेता और विधायक अक्सर यह कहते हुए सुने जाते थे कि हम क्या करें हम तो विपक्ष के नेता हैं लेकिन वर्ष 2018 में जनता ने नेताओं का यह दुख भी दूर कर दिया अब जिसकी प्रदेश में सरकार है उसी दल के यहां से विधायक है.
जिला बनने से पहले ही मऊगंज के घुरेहटा वार्ड क्रमांक 11 को औद्योगिक नगरी घोषित किया गया था वर्ष 2023 विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा औद्योगिक नगरी घुरेहटा का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भूमि पूजन किया, और दोबारा से उसी भूमि का भूमि पूजन क्षेत्रीय विधायक प्रदीप पटेल ने किया, लोगों को लगा सरकार दो दो बार भूमि पूजन करके यहां के युवाओं की चिंता कर रही है और रोजगार देने की योजना बना रही है
लेकिन भूमि पूजन के 1 वर्ष बाद भी औद्योगिक नगरी घुरेहटा में शासन द्वारा एक पत्थर तक नहीं रखा गया आज भी पूरी की पूरी जमीन बंजर पड़ी हुई है, हालांकि एक बोर्ड जरूर लगा है जो अपना सीना चीर कर भाजपा की औद्योगिक नगरी का विकास दिखा रहा है. रोजगार की तलाश में मऊगंज जिले के युवा मुंबई सूरत गुजरात जाने को मजबूर है लगातार लोग पलायन कर रहे हैं और उन्हें रोकने के लिए सरकार कुछ नहीं कर पा रही है.
मऊगंज जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था
चलिए बात करते हैं स्वास्थ्य विभाग के बारे में जहां मरीज भी बेंचे जा रहे हैं जी हां यहां मरीजों का भी सौदा हो रहा है दरअसल जिले में कुछ प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पताल संचालित हो रही है जहां सरकारी अस्पताल में निशुल्क इलाज करवाने के लिए आने वाले मरीजों को सिविल अस्पताल के स्टाफ द्वारा इन प्राइवेट अस्पतालों में भेज दिया जाता है.
हैरानी तो तब होती है जब मामूली खरोच वाले मरीजों को सीधे रीवा रेफर किया जाता है और जिन मरीजों की स्थिति गंभीर होती है उन्हें मोटी कमाई करने के उद्देश्य से प्राइवेट अस्पतालों में भेज दिया जाता है, सीधे तौर पर यहां रेफर एंड अर्न का धंधा चल रहा है. इसी तरह से मऊगंज सिविल अस्पताल का निर्माण कार्य सुखेंद्र सिंह बन्ना के जमाने से चल रहा है और 12 वर्ष बाद भी यह अब तक बनकर तैयार नहीं हो पाया.
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